कौन हूं मैं?

इस अजनबी दुनिया में कौन हूं मैं?

अक्सर ये सवाल आता है।

मैं इक भटकता ख्वाब हूं शायद

यही हर बार जवाब आता है।

जो ना समझे उनके लिए इक अनजान पहेली हूं

जो समझ गए उनकी अजीज़ सहेली हूं।

एक खौफनाक तस्वीर हूं काले दिल वालों के लिए

तो एक मासूम सी हमराह हमराज हूं दोस्तों के लिए।

दिमाग से जो मिले अबूझ भुलभुलैया में जा फंसे

दिल से मिले तो रूह तक खुली किताब सा पढ लिया।

अपनी गठरी थाम कर जो आए बिना जाने गुजर गये

जो भी खुले दिमाग मिले अपने होकर रह गये।

बस इक मासूम परिंदा हूं मैं इस दुनिया में मेहमान

कुछ दिन यहां रहना है फिर उड़ जाना असमान। Copyright © Rachana Dhaka

5 Comments

  1. Rashi says:

    Amazing

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  2. साधक says:

    आप बहोत कुछ हो जनाब 🙏

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    1. Haha!!… thanks so sweet of you bandhu!

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      1. साधक says:

        मुझे नहीं पता मैंने क्या लिखा पर मुझे ये लाइनें आपके लिए सबसे अच्छी लगीं।

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