जाओ उस पार कभी — vj.sadhak

“poverty” जाओ उस पार, कभी बस्ती में और देखो ज़रा करीब से,तन सुलगता है, गर्मी में कैसे, पूछो उस गरीब से। सर्दी में भी उस बंदे का, ऐसा ही कुछ हाल है होता,हाथ-पांव ठिठुर हैं जाते और चेहरा पूरा लाल है होता,हैं दौड़ाते पल बारिश के कैसे, पूछो उस बद-नसीब से,जाओ उस पार, कभी बस्ती […]

जाओ उस पार कभी — vj.sadhak

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